बिहार में बीजेपी ने पशुपति पारस को किनारे कर चिराग पासवान को क्यों चुना?

चिराग पासवान के पास 23 लाख का वोट बैंक, भाजपा की नजर 2024 के साथ 2025 पर भी

पटना: बिहार में पशुपति पारस को किनारे कर भाजपा ने चिराग पासवान को अगर तरजीह दी है तो इसके पीछे भाजपा का अपना मंसूबा और डर है। हालांकि इसे लोजपा नेता चिराग पासवान के लिए भी अपनी छवि दलितों के नेता के रूप में बनाने का यह अचूक अवसर है। बिहार की 6 सुरक्षित सीटों में इस बार तीन सीटें लोजपा को मिली हैं।
सुरक्षित सीटें एससी-एसटी जातियों की बहुलता के आधार पर तय की जाती हैं। यानी चिराग ने तीन सुरक्षित सीटों पर कामयाबी पा ली तो वे यूपी में बसपा नेता मायावती की तरह दलितों के नेता के रूप में उबर सकते हैं। राम विलास पासवान से लेकर चिराग पासवान तक दलित नेता तो बने रहे हैं, लेकिन सवर्णों के साथ के कारण वे दलितों के नेता की छवि कभी नहीं बना पाए। यह पहला मौका चिराग को मिला है, जब वे अपने को दलितों के नेता के तौर पर प्रोजेक्ट कर सकते हैं।

भाजपा ने क्यों दी चिराग को तवज्जो?
सभी जानते हैं कि बाकी पार्टियां चुनाव के वक्त तैयारी करती हैं, जबकि भाजपा में साल भर चुनावी माथापच्ची जारी रहती है। खासकर 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद इस पर शिद्दत से काम होता रहा है। यही वजह है कि चुनाव में बाकी दल सीट और उम्मीदवारों के उलझन में जब तक रहते हैं, भाजपा बूथ स्तर तक अपना चुनावी प्रबंधन पुख्ता कर चुकी होती है। राम विलास पासवान के भाई पशुपति पारस को दरकिनार कर भाजपा ने उनके बेटे चिराग पासवान पर अगर दांव लगाया है तो इसके पीछे भी भाजपा की सोची-समझी रणनीति है।

बिहार की रिजर्व सीटों का गणित समझिए
लोकसभा में कुल 131 सीटें अनुसूचित जाति और जन जाति के लिए आरक्षित हैं। इनमें 84 सीटें अनुसूचित जाति (SC) तो अनुसूचित जनजाति के लिए 47 सीटें रिजर्व हैं। बिहार की बात करें तो 6 सीटें एससी-एसटी के लिए रिजर्व हैं। इनमें हाजीपुर, समस्तीपुर, जमुई, गोपालगंज, सासाराम और गया की सीटें शामिल हैं। चिराग पासवान की लोजपा को एनडीए ने जो पांच सीटें दी हैं, उनमें तीन सुरक्षित सीटें हैं। वैशाली और जमुई दो जेनरल श्रेणी की सीटें भी उनको मिली है। वहीं हाजीपुर, जमुई और समस्तीपुर लोजपा की 2019 की सिटिंग सीटें हैं। गोपालगंज और गया की सीट पिछली बार जेडीयू ने जीती थीं, जबकि सासाराम से भाजपा उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button